शिक्षा की मुख्य भूमिका ज्ञान प्रदान करना, कौशल विकसित करना, मूल्यों को विकसित करना और अंततः समाज के व्यवहार में परिवर्तन लाना है। ज्ञान: यदि जीवन में ज्ञान का कोई अनुप्रयोग नहीं है तो इसका मतलब है कि कोई ज्ञान नहीं है। इसलिए अपने ज्ञान को अपने जीवन की बेहतरी के लिए लागू करें। (मानसिक विकास) कौशल: आज की दुनिया में केवल कौशल आपको अपनी आजीविका कमाने का अवसर देते हैं। इसलिए अपने कौशल को तेज करें। (शारीरिक विकास) मूल्य: मूल्यों (संस्कार) के बिना शिक्षा का कोई मतलब नहीं है। मूल्य जीवन की सामाजिक और आध्यात्मिक आवश्यकता को पूरा करने में मदद करते हैं। (भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास) इसलिए शिक्षा की इस अवधारणा को प्रदान करके हम अपने समाज के प्रत्येक सदस्य के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर सकते हैं और उन्हें शारीरिक रूप से मजबूत, मानसिक रूप से शांत, मनोवैज्ञानिक रूप से स्थिर, भावनात्मक रूप से संतुलित, सामाजिक रूप से मददगार और आध्यात्मिक रूप से संतुष्ट इंसान बना सकते हैं।
जय हिंद !